- एकमात्र दक्षिण एशियाई देश के रूप में भारत को छोड़कर 12 मई, 2017 को नेपाल ने आधिकारिक तौर पर चीन के साथ वन बेल्ट वन रोड (OBOR) समझौते पर हस्ताक्षर किया, भारत चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में शामिल नहीं हुआ।
- यह सौदा सीमा पार कनेक्टिविटी के विकास की अनुमति देगा।
- भूटान के अपवाद के साथ, जिसका चीन के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं, दक्षिण एशिया के हर दूसरे देश ने OBOR में हस्ताक्षर किए हैं।
Read in English: All you need to know about China’s OBOR project.
OBOR वास्तव में क्या है?
- वन बेल्ट वन रोड योजना एशियाई देशों, अफ्रीका, चीन और यूरोप की कनेक्टिविटी और सहयोग की मात्रा में सुधार लाने पर केंद्रित है तथा ज़मीन के साथ-साथ समुद्री मार्गों को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है।
- यह नीति चीन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका उद्देश्य देश में घरेलू विकास को बढ़ावा देना है।
- विशेषज्ञों ने ध्यान दिया है कि OBOR आर्थिक कूटनीति के लिए चीन की रणनीति का एक हिस्सा भी है, जी 7 से चीन के बहिष्कार को ध्यान में रखते हुए OBOR नीति चीन को उसके आर्थिक विकास को जारी रखने का अवसर प्रदान कर सकती है।
भारत OBOR के खिलाफ क्यों है?
- भारत की इस नीति के प्रति विरोध का मुख्य कारण चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) है जो OBOR का एक हिस्सा है तथा हाल की चीनी रिपोर्टों का दावा है कि पाकिस्तान में सीपीईसी के प्रक्षेपण के बाद, देश ने 46 अरब डॉलर से अधिक का निवेश प्राप्त किया है।
- विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस हफ्ते में पहले ही कहा था, “हम सभी कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए हैं … लेकिन OBOR पर हमारी स्थिति यह है कि तथाकथित सीपीईसी OBOR का एक हिस्सा है और यह भारतीय क्षेत्र के माध्यम से गुजरती है जहां हमारी कठिनाई है,”।
- संप्रभुता के मुद्दों का हवाला देते हुए भारत ने पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में सीपीईसी परियोजनाओं पर आपत्तियों को उठाया।
- हालांकि चीन ने भारत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश नहीं की है। शंघाई में दक्षिण और मध्य एशिया अध्ययन संस्थान के निदेशक वांग डीहुआ ने बताया कि, “सीपीईसी एक प्रमुख परियोजना है, लेकिन दक्षिण एशिया के सभी देशों ने बेल्ट और रोड फ़ोरम में भागीदारी की पुष्टि की है तथा इस पहल का उपयोग कर रहे हैं,”
बेल्ट और रोड फोरम?
- 14 मई 2017 से शुरू हो रहे दो दिवसीय बेल्ट और रोड फ़ोरम (बीआरएफ) की मेजबानी बीजिंग करेगा जोकि OBOR पर उच्च स्तर के प्रतिनिधिमंडलों को 29 प्रमुख राज्यों के नेताओ के बीच वार्ता में मदद करता है।
- भारत इस फोरम में शामिल नहीं होगा।
नेपाल की उपस्थिति और भारत की अनुपस्थिति: भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
- नेपाल और भारत ने अच्छे द्विपक्षीय संबंधों को कायम रखा है हालांकि, चीन इस समीकरण में प्रवेश कर रहा है तो भारत को इसकी स्थिति बरकरार रखने में मुश्किल हो सकती है।
- चीनी विदेश नीति विशेषज्ञों ने ध्यान दिया है कि OBOR में नेपाल के शामिल होने से भारत इस पहल में शामिल होने पर या बहिष्कृत होने का सामना करने के लिए मजबूर हो सकता है।
- समकालीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के चीन संस्थान के निदेशक हू शिसेंग ने बताया कि, “अगर भारत बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में भाग नहीं लेता है तो उसके सभी पड़ोसी इसे लेकर सकारात्मक हैं जिससे पड़ोसियों के पास शिकायत करने का कारण होगा जोकि भारत के लिए रचनात्मक नहीं है तथा इस क्षेत्र में उसकी अपील को कम करेगा और उसके पड़ोसी यह प्रश्न भी पूछ सकते हैं कि, ‘भारत इसमें क्यों शामिल नहीं है? “