Maharatna Companies क्या है?
- सरकार द्वारा इस उपाधि (Maharatna Companies)की शुरुवात 2010 में कई गयी, इसका उद्देश्य बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमो को अपने कारोबार का विस्तार करने तथा विश्व की बड़ी कंपनी के रूप में उभरने के लिए समर्थ बनाना है।
- वर्तमान में कोई भी महारत्न कंपनी किसी भी प्रोजेक्ट में अपनी कुल कीमत का 15% निवेश करने का निर्णय बिना सरकार की अनुमति के ले सकती है।
- नवरत्न कंपनी को किसी प्रोजेक्ट में बिना सरकार की अनुमति के 1000₹ करोड़ तक निवेश कर सकती है।
- न्यूनतम पब्लिक होल्डिंग के साथ स्टॉक एक्सचेंज पर सूचित होने वाली कंपनियों को महारत्न का दर्जा दिया जाता है।
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दर्जा प्राप्त करने हेतु माप दंड
- नवरत्न का दर्जा पूर्व प्राप्त हो।
- सेबी के नियामकों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक हिस्सेदारी के साथ भारतीय शेयर मार्केट में सूचीबद्ध होना चाहिए।
- पिछले तीन वर्षों की औसत सालाना शुद्ध संपत्ति ₹15000 करोड़ से अधिक होना चाहिए।
- पिछले तीन वर्षों की औसत सालाना कारोबार ₹25000 करोड़ से अधिक होना चाहिए।
- कर चुकाने के बाद पिछले तीन वर्षों के दौरान औसत सालाना शुद्ध लाभ ₹5000 करोड़ से अधिक होना चाहिए।
- देश के अलावा इस कम्पनी का कारोबार विदेश में भी होना चाहिए।
- नवरत्न का दर्जा प्रदान करने के लिए प्रचलित प्रक्रिया और समीक्षा महारत्न का दर्जा प्रदान करने के समान है।
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आठ महारत्न कंपनियां (Maharatna Companies)
- भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)
- कोल इंडिया लिमिटेड (COL)
- GAIL इंडिया लिमिटेड
- NTPC लिमिटेड
- आयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ONGC)
- स्टील ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL)
- इंडियन ऑयल कारपोरेशन (IOC)
- भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरशन लिमिटेड (BPCL) 2016-2017
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