- यह सुनिश्चित करने के लिए कि आमों की प्रामाणिक किस्मों को ही ग्राहकों को बेचा जा रहा है, केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने रत्नागिरी और देवगढ़ अल्फांसो आमों के लिए जीआई टैग दिया है।
- आमों की विशिष्ट किस्मों को बेचने वाले किसानों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि ऐसे अन्य लोग हैं जो नकली जाति के आमो को सब्सिडी दरों पर ग्राहकों को बेचने की कोशिश करते हैं। इससे ग्राहकों और किसानों दोनों को आमतौर पर दुःख होता है क्योंकि इस प्रक्रिया में उनकी बिक्री भी प्रभावित होती है।
- इस खतरे से निपटने के लिए, जीआई टैग के साथ अल्फोंसो आमों को प्रमाणित करने के लिए एक कदम शुरू किया गया है।
Read in English: GI Tag for Alphonso Mangoes Now
- एक जीआई टैग (भौगोलिक संकेत) एक उत्पाद या उत्पाद के भौगोलिक स्थान की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए बेचे जाने वाले कुछ उत्पादों पर प्रयोग किया जाता है,यह एक शहर, एक गांव, एक जिला या एक देश भी हो सकता है।
2004 में भारत में जीआई टैग पाने वाला पहला उत्पाद दार्जिलिंग चाय था तथा 2015 तक भारत से कुल 272 उत्पाद थे जो इस संकेत को दर्शाते थे।
“किसानों को नुकसान नही उठाना पड़ेगा जब सस्ते किस्मों को रत्नागिरी या देवगढ़ अल्फोंसो के रूप में बेचा जाएगा। जीआई टैगिंग उन उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाएगा तथा उन्हें धोखा नहीं होने का आश्वासन दिया जा सकता है। ”
इस विकास के कारण, केवल पंजीकृत उपयोगकर्ता ही उन ग्राहकों के लिए इसे बेचते समय इस विविधता के नाम का उपयोग कर सकते हैं।
ये अन्य देशो में किसानों को अपने आमों का निर्यात करते समय भी मदद करेगी तथा इसके अतिरिक्त, ग्राहकों को संतुष्ट किया जा सकता है कि उन्हें उप-मानक उत्पादों के साथ ठगा नहीं जा रहा है।
इस पहल से नकली किस्मों की बिक्री कर किसानों और आम जनता दोनों को धोखा देने वाले लोगो से बचने में मदद मिलेगी।
अधिकारियों के मुताबिक, चूंकि अभी भी कुछ विवरणों की समस्या को हल करना अभी बाकी है इसलिए किसान अगले आम के मौसम से इन टैगों का उपयोग प्रभावी ढंग से शुरू कर सकते हैं।