आईएनएस खंडेरी
- दूसरी स्वदेश निर्मित स्कॉर्पियन पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी को गुरुवार को लांच किया गया।
- यह मराठा बलों के द्वीप किला के नाम पर है, जिसने 17 वीं सदी में समुद्र में अपनी बादशाहत को सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
एक स्कॉर्पियन पनडुब्बी क्या है? (Read in English)
- आईएनएस खंडेरी एक पारंपरिक संचालित 1500 टन वजनी पनडुब्बी है।
- यह 300 मीटर की गहराई तक जा सकता है।
- यह फ्रांस के DCNS द्वारा बनाया गया है।
विशेषताएं
- यह पनडुब्बी बेहतर गुप्त सुविधा युक्त है।
- यह सटीक निर्देशित हथियारों का उपयोग करते हुए दुश्मन को कमजोर कर सकता हैं।
- यह पनडुब्बी पानी के नीचे या सतह पर तारपीडो और ट्यूब से लांच होने वाली एंटी शिप मिसाइल से हमला कर सकता है।
- यह उष्णकटिबंधीय सहित सभी थियेटर में काम कर सकते हैं।
- यह नौसेना के टास्क फोर्स के अन्य घटकों के साथ अंतर को सुनिश्चित करने के सभी साधन और संचार के साथ सुसज्जित है।
- यह सतह रोधी युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी जुटाने, माइन बिछाने, क्षेत्र निगरानी आदि का कार्य कर सकते है।
- यह अत्यधिक तापमान में चल सकते हैं।
- यह एक डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन द्वारा संचालित है। इसका मतलब यह है कि यह लंबी अवधि के लिए जलमग्न रहने के लिए सक्षम नही होगा और इसकी बैटरी पुनर्भरण के लिए इसे फिर सतह पर आना होगा।
पनडुब्बियों का महत्व
- एक पनडुब्बी शांत सैन्य मंच है।
- इनका पता लगाना बेहद मुश्किल है।
- इनका मुख्य कवर पानी के नीचे छिपकर गति करने की और दुश्मन के जहाजों की आवाजाही पर नजर रखने की क्षमता है।
- वर्तमान में उपलब्ध ये सबसे शक्तिशाली सैन्य प्लेटफार्म है यहाँ तक की विमान वाहक से भी यह आगे जिसकी सुरक्षा के लिए एक बड़ी संख्या में कर्मचारियों की जरूरत होती है ।
- इसका महत्व इस तथ्य के साथ बढ़ता है कि जो देश परमाणु हथियारों से युक्त होते है तथा उनके दूसरे स्ट्राइक (एक पहले परमाणु हमले के बाद दोबारा स्ट्राइक करने की क्षमता) की क्षमता परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (SSBN) पर होती है।
- पनडुब्बी दिवस 8 दिसंबर को हर साल मनाया जाता है। यह वर्ष 1967 का दिन था जब पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवारी भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
परियोजना -75
- अक्टूबर 2005 में, फ्रांस के DCNS से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ मुंबई में मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा छह पनडुब्बिया निर्मित किये जाने के लिए 3.75 बिलियन अमेरिकन $, भारत ने हस्ताक्षर किया था।
- परियोजना के तहत निर्मित पहली पनडुब्बी को आईएनएस कलवारी नाम दिया गया है, जो समुद्री परीक्षण के दौर से गुजर रहा है और नौसेना में शीघ्र ही शुरू हो जाएगा ।
- आईएनएस खंडेरी परियोजना -75 के तहत बनाया जाने वाला दूसरा पनडुब्बी है। शेष चार पनडुब्बियों के निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं और एमडीएल ने हर नौ महीने में एक पनडुब्बी को सौंपने का आश्वासन दिया है।
- भारतीय नौसेना, वर्तमान में केवल 13 पारंपरिक संचालित पनडुब्बियों और दो परमाणु पनडुब्बियों चल रही है। ऐसे में यह परियोजना भारतीय नौसेना के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
भारत में पनडुब्बी विनिर्माण
- 7 फरवरी 1992 को पहली भारत में निर्मित पनडुब्बी आईएनएस शल्की के कमीशन के साथ ही भारत पनडुब्बी निर्माण राष्ट्रों के विशेष समूह में शामिल हो गया।
- 1994 में एक और पनडुब्बी आईएनएस शंकुल कॉमिशन पर चला गया जो एमडीएल द्वारा निर्मित किया गया था।
- ये दो पनडुब्बियों अब भी सेवा में हैं।