- भारत के घरेलू परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने के लिए 17 मई 2017 को केंद्रीय कैबिनेट ने स्वदेशी तौर पर 10 परमाणु रिएक्टरों का निर्माण करने का प्रस्ताव मंजूर किया तथा एक बार में ऐसी सुविधाओं के लिए सबसे बड़ी स्वीकृति प्रदान की गई।
- एक बार पूरा होने पर, 700 मेगावाट के 10 रिएक्टर प्रत्येक घरेलू परमाणु उद्योगो को अति आवश्यक प्रोत्साहन देंगे।
- प्रेशरिज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर्स (पीएचडब्लूआर) के पास स्वदेशी लेकिन नवीनतम तकनीक होगी।
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- कुल 7,000 मेगावाट क्षमता की वृद्धि होगी तथा यह स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करने में मदद करेगी।
- कैबिनेट का निर्णय कम कार्बन विकास रणनीति के तहत भारत के ऊर्जा मिश्रण में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को प्राथमिकता देने और राष्ट्र के औद्योगिकीकरण के लिए दीर्घकालिक आधार-भार की आवश्यकता को सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- यह सतत विकास, ऊर्जा की आत्मनिर्भरता तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का भी समर्थन करता है।
- भारत ने वर्तमान में 22 परिचालन संयंत्रों से 6,780 मेगावाट की परमाणु ऊर्जा क्षमता स्थापित की है|
- एक और 6,700 मेगावाट का परमाणु ऊर्जा 2021-22 तक जोड़ा जा सकता है अगर वर्तमान में राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु में निर्माणाधीन परियोजनाएं प्रारम्भ हो जाये।
- देश में परमाणु ऊर्जा का कुल हिस्सा वर्तमान में 3.5 प्रतिशत कम है।
- 10 रिएक्टरों का निर्माण माही बंसवाड़ा (राजस्थान), चतुका (मध्य प्रदेश), कैगा (कर्नाटक) और गोरखपुर (हरियाणा) में होगा।
- घरेलू कंपनियों को 70,000 करोड़ रुपये के करीब आर्डर होने की संभावना के साथ इस परियोजना से उम्मीद है कि यह भारतीय परमाणु उद्योग को बदलने में मदद करेगी तथा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार में 33,400 से ज्यादा नौकरियां पैदा कर सकेगा।
- हालांकि, परमाणु विरोधी समूहो ने निर्णय के विरोध में अपने आवाज को उठाया है।
- ग्रीनपीस इंडिया ने इसे “असुरक्षित, अप्रचलित और महंगी” प्रौद्योगिकी पर करदाता के पैसे को बर्बाद करने के लिए इसे “आर्थिक भूल” तथा “दूसरा व्यर्थ प्रयोग” कहा।