- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रुड़की में शोधकर्ता जामून के उपयोग के जरिए सौर ऊर्जा को अधिक प्रभावी ढंग से लाभ में लाने के लिए सस्ते और प्रभावी सौर सेल का निर्माण कर रहे हैं।
- वैज्ञानिकों के मुताबिक जामुन में दिखने वाले रंजकता को आसानी से डाई-सेंसिटाइज्ड सोलर सेल या ग्रेटसेल फोटोसेंसिटाइज़र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- ग्रेशल सेल पतली फिल्म वाले सौर सेल होते है जोकि टाइटेनियम डाइऑक्साइड (TiO2) के झरझरे परत से लेपित फोटो एनोड, रंजक अणुओं की एक परत जोकी सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करती है तथा रंजक को पुनर्जीवित करने के लिए एक इलेक्ट्रोलाइट तथा एक कैथोड से बना होता है।
- शोधकर्ताओं ने इथेनॉल का उपयोग करते हुए जामुन से रंजक निकाला| उन्होंने जामून को विशिष्ट रंग देने वाले पिगमेंट के ताजे जूस के साथ बेर और काली किसमिस का भी इस्तेमाल किया|
- उसके बाद मिश्रण को अपकेंद्रित कर छाना गया जिसमें से निकाले गए एंथोसायनिन नामक रंगीन वर्णक को संवेदीकरण के रूप में इस्तेमाल किया गया।
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- जामुन से बने सौर पैनल कम खर्चीले होंगे क्योंकि जामुन में उत्पन्न होने वाला प्राकृतिक रंजक तत्व रुथेनिम आधारित पिगमेंट् की तुलना में अधिक सस्ता हैं।
- शोधकर्ताओ के अनुसार,”समग्र निर्माण प्रक्रिया की सादगी और लागत में प्रभावशीलता, फलों और रस की व्यापक उपलब्धता तथा एंथोसायनिन रंगों की निकासी में आसानी से इसे सौर सेल के लिए नया और सस्ता बनाते हैं।”
- 2015 में, पेरिस में सीओपी 21 जलवायु सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसिस ओलांदे के साथ 120 देशों के एक नए वैश्विक सौर गठबंधन का अनावरण किया था।
- भारत सरकार ने सौर ऊर्जा में बहुत अधिक निवेश करने की अगुवाई करने का वचन दिया है।
- ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए ऊर्जा के अक्षय और वैकल्पिक स्रोतों को खोजने के लिए तथा तेज़ी से कम हो रहे जीवाश्म ईंधन पर मानव निर्भरता को कम करने के लिए वैज्ञानिक सौर ऊर्जा को शक्ति के संभावित स्रोत के रूप में देखते हैं।
- हालांकि, सौर ऊर्जा का दोहन करना अब तक बहुत महंगा साबित हुआ है तथा पूरे विश्व में शोधकर्ता सौर पैनलों के निर्माण और उनके रखरखाव को पहले से कहीं ज्यादा सस्ता बनाने के लिए विभिन्न अभिनव तरीकों पर काम कर रहे हैं।